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हिन्दू विश्व ( हिंदी )


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Editorial

By Vijay Shankar Tiwari
Editorial

इस्लामिक जिहाद: हिंदू समाज पर बढ़ते हमले और हमारी जिम्मेदारी


हाल ही में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने इस्लामिक जिहादियों द्वारा हिंदू मंदिरों, पर्वों, यात्राओं और हिंदू लड़कियों पर किए गए तीन सौ से अधिक हमलों की सूची जारी की है। यह सूची न केवल हिंदू समाज के प्रति योजनाबद्ध हमलों को उजागर करती है, बल्कि इस्लामिक कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव और इसकी हिंसक मानसिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। यह आंकड़े विश्व को सतर्क करने के लिए पर्याप्त हैं।


वीएचपी द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में अधिकांश धार्मिक और सांस्कृतिक हमलों के पीछे इस्लामिक जिहादी तत्व शामिल हैं। ये हमले किसी एक स्थान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि भारत समेत दुनिया भर में फैल चुके हैं। हिंदू मंदिरों को तोड़ा जाना, तीर्थ यात्राओं पर हमले, हिंदू त्योहारों के दौरान हिंसा भड़काना और हिंदू लड़कियों का अपहरण या उनका जबरन धर्मांतरण इस कट्टरपंथी मानसिकता की रणनीतिक योजनाओं का हिस्सा हैं।


भारत में हाल के वर्षों में हिंदू त्योहारों जैसे रामनवमी और दुर्गा पूजा पर जुलूसों के दौरान हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। ये हमले केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हिंदू समाज को दबाने और डराने के उद्देश्य से किए जाते हैं।

यह समस्या केवल भारत की नहीं है। यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के अन्य हिस्सों में भी इस्लामिक कट्टरपंथ अपने हिंसक एजेंडे को लागू करने में लगा हुआ है। फ्रांस, स्वीडन और डेनमार्क जैसे देशों में चर्चों और सार्वजनिक स्थलों पर हमले इस कट्टरपंथ की वैश्विक प्रकृति को रेखांकित करते हैं।


मध्य पूर्व और पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाना या हिंदू परिवारों को प्रताड़ित करना तो आम बात हो चुकी है। यह केवल धार्मिक असहिष्णुता नहीं, बल्कि “धार्मिक वर्चस्व” स्थापित करने की साजिश है, हमलों के पीछे की मानसिकता है।


इन हमलों के पीछे एक गहरी रणनीति है। कट्टर इस्लामिक संगठन “गजवा-ए-हिंद” जैसे विचारों को बढ़ावा देते हैं, जो भारत पर इस्लामी प्रभुत्व की कल्पना करते हैं। ये संगठन न केवल आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं को कमजोर करना चाहते हैं, बल्कि हिंदू समाज की सांस्कृतिक पहचान को भी मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। इस्लामिक जिहादियों द्वारा किए गए इन हमलों का सबसे बड़ा उद्देश्य हिंदू समाज को तोड़ना और उसमें डर का माहौल बनाना है। यह समय हिंदू समाज के लिए एकजुट होने का है। हमें इन हमलों को केवल सांप्रदायिक घटनाएँ मानकर अनदेखा नहीं करना चाहिए, बल्कि इन्हें अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर खतरा मानना चाहिए। 


हिंदू समाज को अब और सतर्क रहना होगा। त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के दौरान स्थानीय समुदायों को सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और सामूहिकता बनाए रखनी होगी। लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण जैसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज को जागरूक करना होगा। माता-पिता और युवाओं को इन खतरों के प्रति शिक्षित करना जरूरी है। आज की बड़ी आवश्यकता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदू समाज को संगठित होकर इन समस्याओं को उठाना होगा। इस्लामिक जिहाद केवल एक धार्मिक विवाद नहीं है, बल्कि मानवता के लिए एक बड़ा खतरा है। यह समय है कि हिंदू समाज अपने सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों के प्रति सजग हो। हमारी परम्परायें, हमारी आस्थाएँ और हमारी संस्कृति अनमोल हैं। इसे बचाने के लिए संगठित प्रयास बहुत आवश्यक है।